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लाश पर्वत के 10 रहस्य, जानकर हैरान रह जाएंगे, नासा भी चौंक ! In Hindi
कैलाश पर्वत क्या है?
हिंदू धर्म ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है कि कैलाश पर्वत पर भगवान शिव आज भी निवास करते हैं। हिंदू धर्म के देवी देवता सिर्फ पौराणिक कथाओं के पात्र नहीं थे बल्कि वे ऐसी शक्तियां थे। जो पृथ्वी पर अलग-अलग रूप में अलग अलग जगह पर मौजूद थे और उनमें से कई शक्तियां तो आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। बस वह किसी को नजर नहीं आती लेकिन इस धरती पर आज भी एक ऐसी जगह है जो पूरी तरह से विज्ञान को चुनौती दे रही है। हम बात कर रहे हैं इस धरती का सबसे रहस्यमई पर्वत, कैलाश पर्वत की। जहां स्वयं भगवान शिव के मौजूद होने का एहसास आज भी होते रहता है। इस जन्म में भगवान शिव का दर्शन हो या ना हो लेकिन उनके निवास स्थान का दर्शन मनुष्य के भाग्य में जरूर लिखा है
1). कैलाश पर्वत के महत्व
दुनिया की सारी अलौकिक शक्तियों का जन्म इस कैलाश पर्वत से ही शुरू होता है। हिमालय की गोद में बसा यह पर्वत भले ही दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत ना हो लेकिन इसकी भव्यता, इसके सिंचाई से नहीं बल्कि इसके आकार में है शिवलिंग के आकार का यह पर्वत स्वयं में ही एक मंदिर है इस पर्वत की महानता इसी बात से हो जाती है कि आज तक कोई भी मनुष्य इस पर नहीं चढ़ पाया है और जिसने भी इस पर्वत पर चढ़ने का दुस्साहस किया है उसे मृत्यु ही प्राप्त हुई है। जब इस पर्वत पर सूर्य की किरणें पड़ती है तब यह पर्वत सोने की तरह चमक उठता है तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानो कैलाश ही सत्य है और सत्य ही शिव। धरती के इस स्थान पर हवाओं के धनी के तरंगों का कुछ इस तरह से मिलन होता है कि यहां आए हुए भक्तों को ॐ की ध्वनि सुनाई देती है।
केलाश पर्वत पूरी पृथ्वी के केंद्र है
धरती के एक और उत्तरी ध्रुव तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव है इन दोनों के बीचोंबीच स्थित हिमालय और हिमालय का केंद्र है। कैलाश पर्वत जो हजारों लाखों लोगों के लिए बहुत बड़ा पवित्र स्थान है। पश्चिमी तिब्बत में मौजूद कैलाश पर्वत सतह से करीब 22,000 फीट ऊंचा है, अमरनाथ तीर्थ को जाते समय रास्ते में इस पर्वत के दर्शन होते हैं।
कैलाश पर्वत सिर्फ हिन्दुओ का नहीं है
दोस्तों आपको शायद मालूम नहीं होगा कि कैलाश पर्वत सिर्फ हिंदू धर्म के लिए ही नहीं बल्कि और तीनों धर्मों के लिए भी काफी पवित्र जगह है। यह पर्वत दुनिया के चार प्रमुख धर्मों को जोड़े रखता है।
हिंदुइज्म, बुद्धिस्म, जैनिज्म और दाऊदोजीम।
इन चारों धर्मों में कैलाश पर्वत का महत्व भगवान शिव का आलौकिक शक्ति के रूप में देखा जाता है और दोस्तों हाल ही में वैज्ञानिकों द्वारा कैलाश पर्वत को इस धरती का केंद्र यानि एक्ट्रेस माना गया है,
यानी के इस धरती का नाभी। इस पर्वत पर दिशा सूचक यानि के कंपास भी काम करना बंद कर देता है। बहुत से लोगों और शोधकर्ताओं द्वारा बताया गया है कि कैलाश पर्वत पर ही चारों दिशाओं का मिलन होता है यह पर्वत इस धरती के सभी जीव-जंतुओं को जीवित रखने के लिए वातावरण को बनाए रखता है और शायद इसी लिए इस जगह को प्राकृतिक शक्तियों का भंडार कहा जाता है
कोई भी आज तक कैलाश पर्वत पर चढ़ाई क्यों नही कर पाया
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है माउंट एवेरेस्ट इस पर आज तक हजारों लोग चढ़ाई कर चुके हैं लेकिन हैरानी कर देने वाली बात तो यह है कि माउंट एवेरेस्ट से 2000 मीटर कम ऊंचाई वाले कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया
किसी भी पर्वत पर चढ़ाई करने में सबसे बड़ी दिक्कत आती है ऑक्सीजन की कमी की। माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 8848 मीटर का है और इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो जाती है। इतने मुश्किल हालात के बावजूद माउंट एवरेस्ट को अब तक चार हजार से भी ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं और
दूसरी तरफ कैलाश पर्वत की ऊंचाई छः हजार 638 मीटर का है मतलब माउंट एवेरेस्ट से लगभग 2000 मीटर कम इसके बावजूद आज तक कोई भी इस के शिखर पर नहीं पहुंच पाया क्यों माउंट एवेरेस्ट के मुताबिक एक बेहतर ऑप्शन लेवल होने के बावजूद लोग इस पर नहीं चढ़ पाते कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करते समय एक खास सीमा के बाद ऐसी घटनाएं होने लगती है कि मानो कि यह पर्व हमें वापस जाने की चेतावनी दे रहा हो
ठंडा अचानक बढ़ जाती है मौसम भी बदलने लगता है ऐसे में जिसने भी इस चेतावनी को अनसुना किया वह इस पर्वत से वापस नहीं लौटता हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कैलाश पर्वत को भगवान शिव का घर माना जाता है और बगैर के आज्ञा के को उनके स्थान पर आ जाए ऐसा व होने नहीं देंगे यानि के कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करना असंभव है
तिब्बती लोगों के दावे
परंतु तिब्बत के लोगों का कहना है कि 11वीं सदी में तिब्बत के योगी मिलारेपा ने इस पर्वत पर चढ़ाई की थी और वे सफल भी रहे लेकिन इस बात को साबित करने के लिए उन लोगों के पास कोई प्रमाण नहीं है कैलाश पर्वत के बारे में तिब्बत मंदिरों के धर्मगुरु बताते हैं कि कैलाश पर्वत के चारों ओर देखा अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है
क्या हुआ जब रिसर्च ने कैलाश पर्वत की पड़ताल किया
कहा जाता है कि आज भी कुछ तपस्वी इन शक्तियों के माध्यम से आध्यात्मिक गुरुओं के साथ संपर्क करते हैं इसके अलावा इससे जुड़ी काफी दंत कथाएं भी प्रचलित है। इन कथाओं की सच्चाई को पता लगाने के लिए 1999 में रूस के नेत्र रोग विशेषज्ञ अर्नस्ट मूल्य शिव ने कैलाश पर्वत के रहस्यों का खोज करने के लिए एक टीम बनाई और इस पर्वत का कई दिनों का अध्ययन करने के बाद उन्होंने अपने किताब में बताते हुए दावा किया है कि
कैलाश पर्वत की चोटी बिलकुल इंसानों द्वारा तैयार की गई पिरामिड जैसा लगती है और कैलाश पर्वत की यह चोटी प्राकृतिक नहीं बल्कि किसी इंसान या फिर किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बनाई गई है और इस जगह पर अजीब तरह की रेडिएशन होने के कारण इसे पारलौकिक गतिविधियों का केंद्र भी बताएं हैं
उनके दावों में कितनी सच्चाई है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन डॉक्टर ने स्मूद शिव ने जिस आदमी यह शक्ति द्वारा कैलाश पर्वत को बनाए जाने की बात कही है वह शायद भगवान शिव ही है। अगर हम भी कैलाश पर्वत को थोड़ा ध्यान से देखेंगे तो यह बात काफी अजीब लगती है और शायद इसी लिए इस पवित्र पर्वत का दौरा करने वाले लोगों ने दावा किया है कि वहां समय काफी तेजी से गुजरता है नाखून और बालों की वृद्धि जो सामान्य परिस्थितियों में लगभग दो सप्ताह में होती है वह यहां केवल 24 घंटों में हो जाती है और इन पहाड़ों के बीच की हवा तेजी से उम्र बढ़ाने की प्रक्रिया में मदद करती हैं
रशिया के पर्वतोरोही जब चढ़ाई की
ऐसे ही जब रशिया के एक पर्वतारोही रजिस्ट्रियां ने जब कैलाश पर्वत के बिल्कुल करीब पहुंच गए तो उनका दिल बहुत तेजी से धड़कने लगा और उन्हें अचानक कमजोरी महसूस होने लगी। जिसके बाद उन्हें ख्याल आने लगा कि उन्हें यहां नहीं रुकना चाहिए। इसके बाद जैसे ही वह नीचे आते गए उनका स्वास्थ्य ठीक होता गया
गोवरमेंट ने चढ़ाई करने पर रोक लगा दी।
और 2001 में आखिरी बार स्पेनिश टीम के लोग इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी तब पूरी दुनिया भर के लोगों के दबाव के कारण उन्हें अपनी यह खोज रोकनी पड़ी और उस दिन के बाद से गवर्नमेंट ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने की अनुमति किसी को भी नहीं दी कैलाश पर्वत के आकार और रहस्य को लेकर अक्सर बहुत सी बातें होते रहती है लेकिन दोस्तों कुछ प्रश्नों के उत्तर इंसानों की बुद्धि से परे होते हैं
ऐसे में तो एक बात साफ नजर आती है कि हिमालय के पर्वतों के बीच शिवलिंग के आकार का ही कैलाश पर्वत है और इस कैलाश पर्वत को दिल से देखने पर शिवजी का मुख जैसा दिखाई देता है। मेरा मानना यही है कि उस पलाश पर्वत पर शिवजी नहीं बल के कैलाश पर्वत ही शिव है तो दोस्तों अगर आप भी भगवान शिव पर विश्वास रखते हैं तो कमेंट में प्रेम से हर हर महादेव जरूर लिखें और अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें
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